शनिवार, 23 अगस्त 2014
मेरे पापा!!
शनिवार, 8 मार्च 2014
मशाल....
(मेरी डायरी के 2007 नारी दिवस के पन्ने से)
मशाल....
होतें हैं एक व्यक्ति के कई रूप
एक छोड़कर अक्सर सभी डरावने कुरूप
मानव में ही दानव भी होते हैं
पर नारी शायद ही दानवी होती है....
एक ही नारी कई रूपों में निभाती है सारी जिम्मेवारी
नारी के सारे रूप होते हैं विलक्षण मनोहारी
शक्ति है नारी की अपार
सिर्फ नारी ही कर सकती है जीवन निर्माण....
हमेशा हुआ है नारी का निरादर
इसलिये है समाज आज बदतर....
पहचान ली है उसने अपनी शक्ति अपार
नही रहेगी अब वो अबला बनकर
उठने दो ऊनको समाज की रीढ़ बनकर
कल्पणा, किरण, सानिया, बढ़ने दो इन्हें
मत रोको इनको, यें ही हैं मशााल
जो करेंगी भविष्य उज्जवल....
शुक्रिया अपार सहन शक्ति का
जिसने सहा है न जाने क्या क्या
पर जिस दिन टूट गया ये बाँध
सोंचों, कहँा बह जाएगें हम़़़़....
करो सम्मान नारी का
यही है समाधान सारी समस्याओं का
क्योंकी कर दिया है नारी ने साबित
की नारी है सचमुच महाऩ़़़...
--- प्रेमित (c) 8th March 2014 (on International Women's Day - Thanking all the women)
।।।नारी ईक्कीसा।।।
सोमवार, 6 जनवरी 2014
रूह की आस
रूह की आस
वो बेगाने होकर लाड़ जताते है।
उन्हे क्या पता बेगानों से दिल नही लगाते है।।
नाम लेने से हो जाते हैं बदनाम।
बेनामी जीने का भी अपना ही नशा है।।
दूसरों की फ़िक्र में जिंदगी गुज़ारी।
कब कहाँ हमने अपनी रूह को छुआ है।।
--- प्रेमित (c) 6th Jan 2014