गुरुवार, 21 मार्च 2013

समय बीत जाता है

।।।समय बीत जाता है।।।

कह दो सारी अनकही बातें
मौका मिलता है
मुश्किल से।।

रह जाते
सोचते
हाथ मलते अक्सर
अतीत सोचकर

बहा दो
मन के गुबार
शब्द बनाकर
आँखों से

पत्थर
शायद कोई
हो तैयार बहने को
सैलाब के साथ

फेंक दिए जाते
किनारे पे
जो भी जाता समुद्र में
लगता है डर किनारे से

बहने के लिए मांझी के साथ
जरुरी है एक मजबूत सहारा
हाथों का
प्रवाह के लिए

मुगालते में रहना
है बेकार
उम्मीद
हो जाती नाकाम

खोल दो
हृदयके तार
मत करो
इंतजार

भय लगता है मिलन से
क्योंकि होता है
विरह
मिलन के बाद

कह दो सारी अनकही बातें
मौका मिलता है
मुश्किल से।।

--- प्रेमित (c) 21st March 2013 (world poetry day)

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